Considerations To Know About sidh kunjika
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
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अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
समय का अभाव है तो नवरात्रि के नौ दिनों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर देवी की उपासना की जा सकती है. इससे पूजा और website व्रत का अक्षय पुण्य प्राप्त होगा.